ताजमहल का इतिहास और इससे जुड़े रहस्य

ताजमहल का नाम सुनते ही सबके दिमाग में मुमताज़ और शाहजहाँ की प्रेम कहानी घूमती है। एक पति द्वारा अपने बेगम की याद में बनवाया गया महल आज प्रेम दीवानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत स्मारक है। यह मैं नहीं बल्कि आगरा की रहने वाली जनता का कहना है। तो चलिये आज विश्व के अजूबे ताजमहल के इतिहास (History of Taj Mahal in Hindi) के बारे में अच्छे तरीके से जानते है।

ताजमहल

यहाँ पर हम ताजमहल का इतिहास (tajmahal ka itihaas) जानने के साथ ही ताजमहल से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी जैसे कि ताजमहल और लाल किले के निर्माण में किस प्रकार की सामग्री का उपयोग किया गया है?, ताजमहल कैसा दिखता है?, ताज महल अंदर से कैसा दिखता है?, ताज महल के अंदर क्या है?, ताजमहल का मुख्य द्वार किस पत्थर का बना है?, ताजमहल किस दिन बंद रहता है?, ताजमहल की छत के टपकने का क्या कारण था? आदि के बारे में जानेंगे।

ताजमहल का इतिहास (History of Taj Mahal in Hindi)

सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ इस मकबरे ताजमहल का निर्माण कार्य 1643 ईस्वी में शुरू हुआ था, जिसे पूरा करने में लगभग 10 साल का वक्त लग गया था। यानि की 1653 में 20000 मजदूरों की सहायता से विश्व धरोहर ताजमहल बन कर तैयार हुआ था।

इस निर्माण कार्य में इन पूरे दस सालों में लगभग 32 मिलियन रुपए लग गए थे, जो कि आज की कीमत के अनुसार 80 बिलियन रूपये तक होगी। हालांकि शाहजहाँ ने सारे मजदूरों के हाथ काट दिये थे, जिन्होंने ताजमहल को बनाया था। क्योंकि शाहजहाँ नहीं चाहता था कि इसके जैसी कोई दूसरी इमारत भी हो।

एक किवंदती के अनुसार, जब मुमताज़ का निधन हुआ था तो शाहजहाँ बहुत दुखी हो गए थे। क्योंकि वो सबसे ज्यादा प्यार मुमताज़ को ही करता था। कई दिनों तक बिना अन्न और जल के बिताये थे फिर अपने आँखों के सामने मुमताज़ का मकबरा बनाने का निर्णय लिया। या आश्चर्यों में शामिल कर दिया गया था। यह भारत के लिए सबसे बड़ी बात थी कि उनके देश ने पूरी दुनिया को एक अजूबा दिया है।



ताजमहल कब और किसने बनवाया?

भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी रानी मुमताज़ की याद में 1631 ईस्वी में करवाया था। मुमताज़ शाहजहाँ की तीसरी पत्नी थी लेकिन मुगल बादशाह शाहजहाँ मुमताज़ को बेइंतहा प्यार करते थे। इसी प्यार की झलक सारे सैलानी ताजमहल के रूप में देख सकते है।

मुमताज़ और शाहजहाँ

यह भी पढ़े: ताजमहल का भूगोल

ताजमहल की डिजाइन को लेकर शाहजहाँ बहुत ही ज्यादा संवेदनशील था, उसने लगभग 100 से अधिक डिजाइन को नकारने के बाद एक डिजाइन को हाँ कहा था, जो आप सभी के सामने खड़ी है। शाहजहाँ शिल्पकला को बहुत ही बारीकी से जानते थे। इसलिए उन्हें ऐसा नक्शा चाहिए था, जो बिलकुल भी हटके हो।

ताजमहल का डिजाइन दो स्मारकों से प्रेरणा लेकर बनाया गया है और वो दो स्मारक हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली और दूसरा दिल्ली का मुग़ल रईस खान का मकबरा था। इन दोनों की आकृतियों ने ताजमहल को बनाने में मदद की थी।

ताजमहल के मुख्य द्वार के दोनों ओर सफ़ेद पत्थरों पर कुरान शरीफ की आयतें लिखी हुई है। सफ़ेद संगमरमर से बने होने के कारण बहुत ही मनमोहक लगता है। ताजमहल के बाहर एक बहुत बड़ा भव्य और ऊँचा दरवाजा बना हुआ है, जिसे बुलंद दरवाजा कहा जाता है।

जिस जगह मकबरा बना हुआ है, उसकी संरचना का माप 579 बाई 305 मीटर है। यह नदी के किनारे लेकिन उस जमीन के केंद्र में बना हुआ है। इसके आगे बाग बना हुआ है और साथ में एक पुल है, जिसमें ताजमहल का अक्स साफ नजर आता है।



मुख्य मकबरे के पास चार मीनार खड़ी है और वो भी अंदर की तरफ झुकी हुई है। माना जाता है कि मीनारों के झुकाने के पीछे का कारण मुख्य संरचना को किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकम्प से बचाने का है। लेकिन एक किंवदती के अनुसार यह मकबरे में दफनाई मुमताज़ की कब्र को सलाम करने के लिए मीनारों को अंदर की तरफ झुकाया गया है।

ताजमहल की शिल्पकारी

जब कोई सैलानी ताजमहल घूमने जाएगा तो उसे जो मुख्य मकबरा है बिलकुल बीचों-बीच मिलेगा, उसके दोनों तरफ समान आकार के दो इमारतें देखने को मिलेगी। जिसमें पश्चिम की ओर मस्जिद है और पूर्व दिशा में मस्जिद की प्रतिकृति है, जिसे गेस्ट हाउस के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

शिल्पकारी का अनूठा चित्रण ताजमहल

मुख्य मकबरा भवन एक बड़े ऊँचे चबूतरे के बीच में स्थित है, इसका मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में स्थित है, जहाँ से सीढ़ियो के माध्यम से अंदर प्रवेश किया जाता है। मुख्य इमारत की छत पर सारे कोने अद्वितीय है, हालांकि प्रवेश निषेध है।

जैसे ही अंदर आते है तब पर्यटकों को आठ कोनों वाला एक सेंट्रल हॉल दिखाई पड़ता है, जिसके साथ और भी रूम सटे हुए दिखाई पड़ते है। मुख्य हॉल दो मंजिल का है, जिसमें से एक सेनेटोफ़ चेंबर है और उसके नीचे उतरते हुए आपको कदम के दर्शन होते हैं।

इसके ऊपर जो मुख्य गुंबद बना है, उसके बीच में एक बड़ा सा छिद्र छूटा हुआ है। छिद्रित संगमरमर के टुकड़े के नीचे दो मंजिलों में धनुषाकार खिड़कियाँ बनी हुई है। कोने के कमरों के अंदर डैडोस पर कुछ नक्काशी की गई है। स्मारक का प्रत्येक भाग एक महिला के शृंगार के भांति सुंदर और भव्य है और स्मारक महिला के प्रति ही समर्पित किया गया।

ताजमहल की इमारत के 33 फीट ऊँचाई पर उसके हर एक कोने के ऊपर कपोला हुआ करता था। इमारत के बीचों बीच 57 मीटर की ऊँचाई पर एक भव्य बल्बनुमा गुबंद निर्मित है। केंद्र के ऊपर 57 मीटर की ऊँचाई पर महान बल्बनुमा गुंबद स्थित है। अगर ताजमहल के आस पास के चारों मीनारें नहीं हो तो ताजमहल एक साधारण इमारत ही बन कर रह जाती है।



ताजमहल के अंदर एक बड़ा केंद्रीय अर्धमंडलाकार भाग के साथ दो घुमावदार खिड़कियाँ हैं, जिनमें से एक नीचे और दूसरी ऊपर की तरफ बनी हुई है। छिद्रित टुकड़े के सामने के प्रवेश द्वार को छोड़कर सभी द्वारा धनुषाकार खुलते हैं। दीवारों के ऊपर मेरिलेंट किए गए पैरापेट्स इमारत के नाक की सीध में बने दीवारों को सजाते हैं।

पत्थर के जोड़ों की बारीक रेखाओं ने न केवल सतहों को विभाजित किया, बल्कि सतहों की सुंदरता को भी ऊपर उठाया है। ताजमहल की सुंदरता के लिए केवल सफेद संगमरमर की महीन सामग्री जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह सही अनुपात में सारी सामग्रियों का चयन करना है।

ताजमहल में सुरक्षा प्रबंध

ताजमहल में सुरक्षा के लिए बहुत ही कड़ी व्यवस्था की गई है। ताज महल में प्रवेश से पहले सभी यात्रियों को चेकप्वाइंट पर तलाशी से गुजारना पड़ता है। उनके पास यदि बड़े बैग है तो उन्हें वहीं पर रखना होता है। हालांकि छोटे बैग अपने साथ ले जा सकते हैं, लेकिन उसकी भी जांच होती है।

कुछ लोगों का यह भी प्रश्न होता है कि क्या ताजमहल के अंदर मोबाइल फोन ले जा सकते हैं तो हां आप यदि दिन के समय ताजमहल घूमने जाते हैं तो आप अपने छोटे बैग में मोबाइल फोन को ले जा सकते हैं। लेकिन वहां पर आपको तस्वीर खींचने की मनाही होती है। लेकिन यदि ताजमहल देखने के लिए रात के समय का टिकट लेते हैं तब आप मोबाइल फोन भी नहीं ले जा सकते।

कोई भी यात्री जो ताजमहल घूमने के लिए जा रहा है उसे हेडफोन, टेबलेट, लैपटॉप, टोबेको, लाइटर, मोबाइल चार्जर, कैमरा जैसी चीजों को साथ में ले जाना शख्त मनाही होता है।

ताजमहल के रहस्य

फतेहपुर सीकरी की बनावट मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है। यह मुस्लिम वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है। आगरा कैंट से फतेहपुर सिकरी लगभग 38 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर बहुत सारे घूमने लायक जगह है। जैसे- बुलंद दरवाजा, दीवान ए खास, दीवान ए आम, ख्वाब महल, हिरन मीनार, पंचमहल, इबादत खाना, जामा मस्जिद और सलीम चिश्ती की दरगाह।

आगरा का किला

दिल्ली के लाल किले के जैसा दिखने वाला लाल किला आगरा में भी स्थित है, जिसे आगरा का किला कहा जाता है। यह किला यमुना नदी के किनारे बना हुआ है। किले का निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने साल 1565 में शुरू किया था। इस किले के निर्माण लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया था और इसकी वास्तुकला दिल्ली के लाल किले से ही प्रेरित हो कर ही ली गई थी।

आगरा का किला

आगरा किला आगरा कैंट से लगभग 4.5 किलोमीटर की दूरी पर है। आगरा किले में प्रवेश की फीस 40 रूपए है, जबकि विदेशियों के लिए 550 रूपए की टिकट है। 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए किले में प्रवेश फीस फ्री है। यह किला आगरा का ताजमहल के बाद दूसरा विश्व धरोहर है।

यह भी पढ़े: इत्माद-उद-दौला का मकबरा

इत्माद-उद-दौला का मकबरा ‘बेबी ताज महल’ के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यह मकबरा पूरी तरह से सफेद संगमरमर का बना हुआ है और यह एक मात्र भारत का ऐसा पहला मकबरा है। इसका निर्माण नूरजहां ने साल 1622-1628 के बीच करवाया था। यह मुगल मकबरा इस्लामिक वास्तु कला के ऊपर आधारित है। यमुना नदी के किनारे लगभग 23 वर्ग मीटर में फैला हुआ है।



इत्माद-उद-दौला का मकबरा

यहाँ की दीवारों पर पेड़ पौधे, जानवरों और पक्षियों के चित्रों की सुंदर नक्काशी की गई है। भारतीय पर्यटकों का टिकट शुल्क मात्र 10 रूपये और 15 साल से छोटे बच्चों के लिए टिकट नहीं है।

वहीँ विदेशी पर्यटकों के लिए टिकट शुल्क 110 रूपये है। पूरे स्मारक में फोटोग्राफी मुफ्त है, पर वीडियोग्राफी के लिए 25 रूपये का टिकट शुल्क लगता है। ताजमहल से इसकी दूरी लगभग 7 किलोमीटर है तथा आगरा किला से 3.5 किलोमीटर है।

अकबर का मकबरा

यह मक़बरा आगरा के बाहरी इलाके सिकंदरा में स्थित है और लगभग 119 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। यह मकबरा लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर दोनों से बना हुआ है।

अकबर का मकबरा

इस मकबरे का निर्माण मुग़ल सम्राट अकबर ने खुद करवाया था तथा अकबर की मृत्यु होने के बाद उसके बेटे जहांगीर ने इस मकबरे का अधूरे पड़े निर्माण का काम पूरा किया था। मुगल साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण स्थापत्य कला अकबर का मकबरा है। यह मकबरा NH-2 पर मथुरा रोड पर स्थित है और शहर से लगभग 8.2 किमी दूर स्थित है।

मेहताब बाग

यह बाग यमुना के किनारे ताजमहल के एक दम सामने की तरफ स्थित है। मेहताब बाग लगभग 25 एकड़ में फैला हुआ है, इसका निर्माण 1631 से 1635 के बीच करवाया गया था। मेहताब का अर्थ होता है चाँद की रोशनी और यह बाग पूर्णिमा की रात को बहुत ही ज्यादा सुंदर दिखता है। इस बाग के बीच में एक बहुत बड़ा सा अष्टभुजी तालाब है, जिसमें ताजमहल का प्रतिबिंब दिखाई देता है, जो बहुत ही ज्यादा मनमोहक होता है।

मेहताब बाग

यह बाग प्राकृतिक आनंद लेने के लिए आगरा के पर्यटक स्थल मे से एक है। यह बाग सुबह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है। भारतीय पर्यटक की प्रवेश शुल्क 30 रुपए प्रति व्यक्ति है और विदेशी पर्यटकों का शुल्क 200 रुपए प्रति व्यक्ति है। आगरा किला से लगभग 4.5 किलोमीटर की दूरी पर है।



चीनी का रौजा

यमुना नदी के पूर्वी किनारे पर यह स्मारक स्थित है। इसका निर्माण साल 1635 में आयताकार आकार में बनाया था तथा इसकी दीवारों को रंगीन टाइल से सजाया गया था। इस मकबरे की सबसे बड़ी खासियत इसकी अफगान शैली में बनी गोल गुंबद है, जिस पर पवित्र इस्लामिक शब्द लिखे गए हैं।

चीनी का रौजा

यह आगरा किला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मकबरा शिराज के अल्‍लमा अफजल खल मुल्‍लाह शुक्रुल्‍लाह को समर्पित है। चीनी का रौजा एक ऐसा मकबरा है, जहाँ अंतिम संस्कार की रीति का निर्वहन होता है।

अंगूरी बाग

मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा साल 1637 में अंगूरी बाग का निर्माण करवाया गया था। महल के मुख्य भाग में एक हॉल है, जिसमें आसपास के अर्धवृत्त आकार पैटर्न में कमरे बने हुए हैं और सामने एक विशाल आँगन है, जिसमें एक शानदार बगीचा निर्मित है। इसी बगीचे को अंगूरी बाग कहा जाता है।

अंगूरी बाग

यहाँ के आसपास की सारी संरचना सफेद संगमरमर से बनी है, जिसे शुरू में चित्रित किया गया था और सोने में तराशा गया था। यहाँ आप आसानी से एक से दो घंटा समय बिता सकते हैं। यहाँ का प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 40 रुपए और विदेशियों के लिए 510 रुपए प्रति व्यक्ति है। आगरा किला से लगभग 900 मीटर की दूरी पर यह बाग है।

ताज संग्रहालय

ताजमहल के नजदीक ही ताज संग्रहालय मौजूद है। यह संग्रहालय सुबह 10:00 से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है। यहाँ भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 20 रूपए और विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 750 रूपए प्रति व्यक्ति है।

ताज संग्रहालय

इस म्यूजियम की स्थापना 1982 में की गई थी और इसमें सम्राट और उनकी महारानी की कपड़ों के निर्माण और नियोजन को प्रदर्शित करने वाले चित्र लगे हुए है।



जामा मस्जिद

जामा मस्जिद का निर्माण साल 1648 में शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था। इसको भी लाल पत्थर के साथ सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है और यह मस्जिद शाहजहाँ की सबसे लाड़ली बिटिया जहांआरा बेगम को समर्पित थी। यह आगरा किला से लगभग 700 मीटर की दूरी पर है।

जामा मस्जिद

सिकंदरा

सिकंदरा आगरा से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सिकंदरा का नाम सिकंदर लोदी के नाम पर पड़ा था और यहाँ देखने लायक सबसे अच्छी जगह अकबर का मकबरा है।

सिकंदरा

यह भी पढ़े: ताजमहल के आसपास शॉपिंग के लिए जगह

कोई कहीं भी घूमने जाएं तो शॉपिंग करना तो सामान्य सी बात है। कुछ लोग उस जगह की यात्रा की याद के रूप में भी कुछ ना कुछ शॉपिंग करते हैं। यदि आप ताजमहल घूमने जाते हैं तो वहां पर आप शॉपिंग तो जरूर करेंगे। वैसे ताजमहल घूमने जाते हैं तो उस समय शॉपिंग करने के लिए आपको आसपास कई सारे बाजार मिल जाएंगे।

वहां पर आपको संगमरमर से बने छोटे-छोटे ताजमहल भी देखने को मिलेंगे। आप ताजमहल की यात्रा की याद के रूप में उन्हें खरीद सकते हैं। इस शहर में शिल्पी ग्राम बाजार क्षेत्र है, जहां पर आपको हर तरह की चीजें खरीदारी के लिए मिल जाएगी।

ताजमहल का प्रवेश शुल्क और टाइमिंग

ताजमहल हर शुक्रवार के दिन बंद रहता है यानि की हर सप्ताह केवल छ: दिन खुलता है। जिसे देखने के लिए भारतीय नागरिकों को 50 रुपए, सार्क देश और बंगाल खाड़ी के अंतर्गत आने वाले नागरिकों को 540 रुपए और बाकी सारे देशों के नागरिकों को 1100 रुपए प्रति व्यक्ति देना होता है।



इसके अंदर केवल ताजमहल के परिसर को देखने की छुट है। अगर मुख्य मकबरे को देखना है तो अतिरिक्त 200 रुपए प्रति व्यक्ति का भुगतान करना पड़ता है। 15 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चों की कोई टिकट नहीं लगती है।

इसकी टाइमिंग हर रोज केवल शुक्रवार को छोड़कर सूरज निकलने के आधे घंटे पहले से सूर्यास्त के आधे घंटे पहले तक रहती है यानि सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक। शुक्रवार को मस्जिद में प्रार्थना होती है, इसलिए इस दिन ताजमहल पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

ताजमहल को रात में भी देख सकते है, लेकिन हर महीने केवल पाँच दिन ही। वो पाँच दिन पूर्णिमा से पहले दो दिन, पूर्णिमा का दिन और पूर्णिमा के बाद वाले दो दिन है।

ताजमहल के प्रवेश द्वार

जब आप आगरा पहुंच जाते हैं तब ताजमहल में प्रवेश करने का भी निश्चित समय है और ताज महल में प्रवेश करने के लिए तीन दरवाजे हैं। एक दरवाजा पश्चिम की ओर है और यह मुख्य द्वार है। इस द्वार से दर्शकगन सूर्योदय होने से एक घंटा पहले और सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले तक प्रवेश कर सकते हैं।

ताजमहल का दूसरा जो द्वार है, वह पूरब की ओर खुलता है। इस द्वार से भी ताज महल के अंदर प्रवेश कर सकते है और सूर्योदय से घंटा पहले और सूर्यास्त से 45 मिनट पहले ही इस द्वार से प्रवेश दिया जाता है। ताजमहल का जो तीसरा द्वार है, वह दक्षिण की ओर खुलता है। लेकिन इस द्वार से ताजमहल से बाहर निकल सकते हैं। इधर से ताज महल के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता।

ताजमहल कैसे पहुँचे?

ताजमहल पहुँचने के लिए पर्यटक हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग का प्रयोग कर सकता है। जो व्यक्ति हवाई मार्ग से ताजमहल देखना चाहते है तो वे अपनी हवाई टिकट आगरा ले लिए कटवाए। क्योंकि ताजमहल के नजदीक हवाई अड्डा वो ही है। एयरपोर्ट से मात्र 12.7 किमी की दूरी पर ताजमहल स्थित है।



जो व्यक्ति रेल मार्ग से आना चाहते है, वो आगरा स्टेशन की टिकट कटवाएँ। आगरा कैंट के अलावा दो और स्टेशन भी है, उसकी भी टिकट लेकर आप ताजमहल आसानी से पहुँच सकते है। आगरा कैंट से ताजमहल 6.3 किमी की दूरी पर ही स्थित है।

सड़क मार्ग से आप अपना निजी वाहन लेकर भी यात्रा कर सकते है। वैसे आगरा का बस स्टैंड ईदगाह से ताजमहल 5.8 किमी की दूरी पर है तो यहाँ से आप लोकल टैक्सी से ताजमहल पहुँच सकते है।

ताज महल घूमने का सही समय

ताज महल उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित है। बात करें कि ताजमहल घूमने के लिए आप कब जा सकते हैं तो वैसे तो साल की किसी भी मौसम में ताजमहल घूमने जाना जा सकता है। लेकिन यदि आप अप्रैल से सितंबर के बीच जाते हैं तो शायद यह आपके लिए थोड़ा उमस भरा हो सकता है। क्योंकि यह गर्मियों का मौसम होता है और इस दौरान यहां का तापमान 40 डिग्री से लेकर 45 डिग्री के बीच में होता है।

ऐसे में चिलचिलाती धूप में आपको ताजमहल देखने का इतना आनंद नहीं आएगा। इसीलिए यदि आप ताजमहल घूमने का पूरा आनंद लेना चाहते हैं तो नवंबर से फरवरी के महीने के दौरान जाए। इस दौरान हल्की हल्की ठंड रहती है और ऐसे में ताजमहल घूमने का बहुत आनंद आता है।

हालांकि दिसंबर और जनवरी के दौरान काफी ठंड रहती है ऐसे में आप इन 2 महीने के बीच में जाते हैं तो अपने साथ गर्म कपड़े भी रख सकते हैं। वैसे आप ताजमहल ऐसे समय जाना चाहते हैं जब ज्यादा भीड़भाड़ ना हो तो आप बारिश के मौसम का चयन कर सकते हैं।

बारिश का मौसम भी ताजमहल घूमने के लिए ठीक है। क्योंकि इस दौरान यहां भीड़ भाड़ बहुत कम होती है और यमुना नदी में ज्यादा पानी होने के कारण ताजमहल का दृश्य और भी सुंदर लगता है।



FAQ

ताजमहल का निर्माण किसने और क्यों करवाया था?

ताजमहल का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज़ की याद में करवाया था।

ताजमहल का निर्माण कितने सालों तक चला?

ताजमहल का निर्माण तकरीबन 10 साल चला।

ताजमहल किस वास्तुकार के देखरेख में बना था?

ताजमहल ईरान के मशहूर फारसी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी के देखरेख में बना था।

ताजमहल बनाने में कितने मजदूर लगे थे और बनने के बाद उनके साथ क्या हुआ था?

ताजमहल बनाने में तकरीबन 20000 मजदूर लगे थे और ताजमहल बनने के बाद उन सभी के हाथ काट दिये गए थे।

ताजमहल के लिए कौनसा पत्थर उपयोग में लिया गया था?

ताजमहल बनाने के लिए राजस्थान से सफ़ेद संगमरमर पत्थर मंगवाया गया था और उसी से पूरा ताजमहल का निर्माण किया गया था।

ताज महल सप्ताह में कितने दिन खुलता है?

जो यात्री ताजमहल घूमने के लिए जा रहे हैं उन्हें ध्यान रखना जरूरी है कि सप्ताह में शुक्रवार को छोड़कर सभी दिन ताजमहल खुले रहते हैं।



क्या यहाँ पहले शिव जी का मंदिर था?

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पहले यहाँ शिव जी का मंदिर हुआ करता था, जिसे बाद में तोड़ कर मकबरा बना दिया गया है।

ताजमहल का निर्माण किस मुगल बादशाह ने करवाया था?

ताजमहल का निर्माण शाहजहां मुगल बादशाह ने करवाया था।

ताजमहल की छत के टपकने का क्या कारण था?

ताजमहल के मकबरे की छत पर एक छेद है। इस छेद से टपकती बूंद के पीछे कई राज मशहूर हैं, जिसमें सबसे ज्यादा मशहूर राज यह है कि ताजमहल के पूरा बनने से दो- चार दिन पहले शाहजहाँ ने जब सभी मज़दूरों के हाथ काटने की घोषणा की तो मजदूरों ने ताजमहल को पूरा करने के बावजूद इसमें एक ऐसी कमी छोड़ दी थी, जिससे शाहजहाँ का एक अनूठी इमारत बनाने का सपना पूरा नहीं हो सके।

निष्कर्ष

विश्व के सात आश्चर्यों में से एक आश्चर्य हमारे देश भारत में है, इससे बड़ा गौरव और क्या ही मिल सकता है। लेकिन जब भी ऐसे रमणीय स्थल पर घूमने जाएँ तो साफ-सफाई का ध्यान रखा जाएँ और शिल्पकला को बिना छेड़खानी किए देखना चाहिए।

आशा करता हूँ कि मेरे द्वारा लिखा गया यह ताजमहल का इतिहास (History of Taj Mahal in Hindi) लेख आपको पसंद आया होगा। इस जानकारी को अपने तक ही सीमित नहीं रखें, आगे शेयर जरूर करें।

यह भी पढ़े